हमारी संतान
मुश्किलओं का कर्तव्य अपने जीवन के उस मुकाम पर निर्भर करता जिसमे एक छोटी सी मूलभूत अधिकार होता जो हमारी संतान पर depend करता है। इस संसार में जब एक छोटा सा शिशु आता है उसे कितने प्यार से हम उसके लिए सारा चीज निछावर कर देते है।
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हमारा कर्त्तव्य होना चाहिए बचपन से सही और प्रॉपर way में le जाए।
बच्चो के प्रति हमारा योगदान:-
(1) सही direction
हमारा कर्त्तव्य होना चाहिए की अपने बच्चों के प्रति उन्हें कुछ नहीं पता है क्या गलत और क्या सही बस आपको उसका direction देना है। इंसान गलत करके ही सही करता है। लेकिन अगर उसे ध्यान नहीं दिया जाए तो वह गलत को ही सही मान लेता है।
उन्हें यह समझाना है जबतक mature न हो ये उनका first लेबल होता है वे इस संसार के सही गलत से अपरिचित है। गलत का अंजाम गलत होता। अपने बच्चों को एक सफलता के राह में ले जाना आपका कर्तव्य बनता है।
(2) मुश्किलों का सामना
जितने भी संसार मे जिसने अपना व्यक्तित्व को उजागर किया हो वो अपने life में struggle करके ही प्राप्त किए हैं। मातापिता का कर्तव्य बनता है कि समझाए कि जितनी बड़ी मुसीबत आ जाय भागना नहीं बल्कि उनका सामना करना।
मुसीबत से जितना दूर भागोगे वो तुम्हे भगाते रहेगी अगर डटकर मुकाबला करो तो आसानी से वह हर मान जाएगी। लेकिन हमेशा साथ में रहेगी यही संसार का नियम है। मातापिता एक guider है अपने बच्चो के लिए।
बड़े बड़े विद्वानों का मानना है "संघर्ष ही विजय है"।problem को welcome kijije tabhi आपको soluton मिलेगा। मातापिता को यह भी मार्गदर्शन करना चाहिए कि सबसे बड़ी चीज यह हमारी अंतरात्मा को reveal करता है future planing के लिए।
(3) समय का महत्व
,"समय ही धन है"समय का हमेशा सदुपयोग करना चाहिए। इसके बिना जिन्दगी में कुछ नहीं कर सकते। मातापिता का अधिकार होता है कि उन्हें सही समय का use करना सीखा दे ।जबतक mature ना हो जाए।
हमारा कर्तव्य बनता है समय ही मनुष्य को एक नई मुकाम पर ले जाता है।
मातापिता हमेशा अपने बच्चो को यह बचपन से १०th स्टैण्डर्ड तक ये सारी बातें बताते रहे और मार्गदर्शक बने रहे। यह parent का कर्तव्य है।
(4) संतान की जरूरत
यह भलीभांति परिचित हो जाय कि उनका कुछ भी जरुरत को उनके मन मर्जी न होने दे ।
यह आपकी कमजोरी पकड़ी जाएगा जो आगे चलकर आपको आपके बच्चो के लिए बहुत परेशानी होगी। हमारी ही कमजोरी होती है अपने बच्चो को सही मारगदर्शन में समय को ध्यान देते हैं।
कोई भी जरुरत चीज का यदि सही इस्तेमाल किया जाए तो वह आपके लिए सही साबित होगा।
आज के generation में हमारे youngester काफ़ी समझदार और extra minded है।हम अभी modern age में है जो हर चीज से uptodate होते रहते हैं लेकिन जो मातापिता के पास experience है उन्हें बिल्कुल शेयर करे ताकि भविष्य के लिए उन्हें मंत्र मिल जाय।
(5)bounded नहीं रखना
संसार क नियम है। कोई भी बंधन में रहना पसंद नहीं करते है। क्योंकि इसमें वो अपना घुटन महसूस करते हैं।
अपने बच्चो को बंधन मे न रखे उन्हें आजादी से जीने का मौका दे। वो जिंदगी कि असली हुनर को दुनिया के सामने दिखा सकते है। कभी भी उन्हें जिस चीज मे inerested है उन मे आगे बढ़ने का मौका दे ताकि वो सही और proper लाइफ को सेलेक्ट कर सके।
उन्हें bound नहीं रखना है। अपना सारा चीज वे select कर सके।
(6) लक्ष्य निर्धारित करना
मुकाम पाने के टारगेट बहुत जरूरी है। जिंदगी हमारी एक चलती गाड़ी कि तरह है जबतक मंजिल न पहुंच जाय wah चलती जाती है।
बिना target का खुशी को पाना मुमकिन नहीं है।सबसे पहले तो अगर आपको कहां जाना है वो पता नहीं है कहां जाके रुकेंगे। मातापिता का अधिकार है कि अपने बच्चों को एक target दे और पूरा करने के लिए प्रेरित करे। यही उनका योगदान होना चाहिए।
संतान का कर्तव्य:
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(1)मातापिता हमारा भगवान :
जिन्होंने हमे इस दुनिया में लाया। वो हमेशा हमारी सही रास्ता और लक्ष्य पर हमे निर्धारित करते हैं।
दुनिया माता पिता कभी भी हमे मिसगाइड नहीं करते हमारा तात्पर्य होना चाहिए कि उनके कदमों पर चले। यही उनका इच्छा राय है।
हम उन्हें क्या करते उन्हें बोझ समझते है। हमारा असली God माता पिता है, एक छोटी सी कहानी बताता हूं
"जब शिव भगवान ने अपने दो बेटे कार्तिक और गणेश को कंपटीशन करवाया कि कौन अव्वल है दोनों में से ब्रह्मांड भ्रमण करने को कहा। और कहा कि कौन सबसे पहले हमारा पैर स्पर्श करेगा वही इस competition में अव्वल रहेगा ।जैसे शुरू हुआ दोनों तैयार हो गए । और चल दिए तभी कार्तिक चल दिया लेकिन गणेश ने अपने मातापिता के चारो ओर चक्कर kata और अपने मातापिता का पैर स्पर्श किया जिससे वह अव्वल हो गया।
इसीलिए मैं कहना चाहूंगा सबसे बड़ा भगवान हमारे मातापिता है।
(2) अंज्ञा का पालन करना
बच्चो का कर्तव्य होता है respect your elder। हमेशा अपने साथ होने वाली नकारात्मक विचारको से दूर रहना। छोटो से प्यार करना चाहिए। सबसे पहले हमारे मातापिता गुरु उनका सेवा करना हमारा फर्ज है। उन्हें कभी कोशे नहीं क्योंकि उन्होने हमे संसार दिखाया है।
उनका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। बचपन से कितनी मुश्किलों में रहते हुए भी हमारी हर जरुरत पूरा करते है।
जबकभी हमारे मातापिता से दी गई उपदेश गलत नहीं होता लेकिन हम पालन नहीं करते यह गलत है।
अपनी शिष्टाचारी से अनुपालन करना।
हर छोटी बड़ी ग़लती हो जाय तो नाराज नहीं होना बल्कि हमे उनसे सीख लेना चाहिए।
जब हम mature हो जाते अपने मर्जी का मालिक खुद बनते। मातापिता आदेश का पालन नहीं करते।
(3) मातापिता का सहारा:
एक वृद्ध मां-बाप का सहारा अपना औलाद होता है। अगर हम उन्हें अपने हालातों में छोड़ दे कितना बड़ा अन्याय होगा।
वो हमे हर मुश्किलों से जूझ हमारा future बनाते है।
हमारा कर्तव्य मातापिता के प्रति यह होना चाहिए कि हर पग - पग में उनके लाठी का सहारा बने रहे यही हमारा अधिकार होना चाहिए।
(4) पारिवारिक व्यक्तित्व:
Parents जब हमे पढ़ा लिखाकर एक कामयाब इंसान बना देते। जब अपनी सारी समस्या खत्म हो जाती। और हमे कोई छोटी सी नौकरी मिल जाती।
उसके बाद parents एक बंधन सूत्र में बांध देते लेकिन यह सब होने के बाद हम अपने मातापिता से अलग हो जाते और अलग रहने लगते जिसमे वो मां वो बाप सारा चीज भूल जाते ऐसा मातापिता के साथ कतई म होना चाहिए।
अगर आपको पढ़कर अच्छा लगा तो मेरे ओर से आप सबों को मेरा धन्यवाद।
Writer:
Rajesh gope
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