दादा दादी और नाती पोता का रिश्ता कैसा होना चाहिए

दोनों के बीच का रिश्ता बहुत ही अनूठा है जो कभी नहीं टूट सकता। एक दूसरे के रिश्ते अपने बचपन को याद दिला ती है।

जब माता-पिता अपने पुत्र या पुत्री को जन्म देते हैं। छोटे से बड़े करके हैं पढ़ाते दिखाते हैं अरे कामयाब इंसान बनाते हैं ताकि हर चीज अपने आप से फैसला कर ले सके और जब एक कामयाब रिस्पांसिबिलिटी इंसान बन जाता है तो उन्हें एक सूत्र में मान लेते हैं। जो विवाह यह कैसा बंधन है जो कभी नहीं टूटता है
मां बाप इस बंधन में बांट देते हैं और अंतिम में यहां आस रखते हैं की एक छोटी सी प्यारी सी नन्ही सी पोता पोती मिले और उनके साथ अपने बचपन को दुनिया में ले जाएं।

दादा दादी और नाती पोता के बीच का व्यवहार इस प्रकार होना चाहिए।

आजकल की जनरेशन है अपने रिश्ते को काफी पीछे छोड़ कर रहे हैं हालांकि ऐसा नहीं होना चाहिए। दुनिया तो बदल रही है लेकिन रिश्ते नातों को नहीं बदलना चाहिए
दादा-दादी हमेशा चाहती है की अपने नाती पोतों से 1 बच्चों की तरह खिलती रहे और उन्हें कुछ चीज की कमी ना हो वह अपना नाती पोता को औलाद की तरह समझते हैं और उन्हें बड़ी प्रेम से व्यवहार करते हैं निहारते हैं। यह उनके प्रति काफी आनंद महसूस करते हैं। उन्हें कभी भी नहीं लगता है कि उनका कोई नहीं है भले ही अपना औलाद उन्हें माने या ना माने लेकिन नाती पोता पर भरोसा रहता है।

हर घड़ी यही सोचते हैं कि कभी तो अपना औलाद हमें प्यार दे लेकिन फिर भी गम का कोई एहसास नहीं होता और खुश रहते हैं अपनी औलाद के बच्चों को देखकर और उन्हें प्यार करके।

जब भी उन्हें खुशी लगती है तो अपने पोतों के साथ अपना समय देती है इससे ज्यादा खुशी और क्या है हमारा जीवन कि एक समय सीमा है उन्हें खुशहाली से और सही तरीके से जीवन यापन करना चाहिए।
पोता हमेशा अपने मां-बाप से ज्यादा दादा दादी से प्यार करते हैं क्योंकि बड़े बुजुर्ग कभी डांटते नहीं और ना ही भी करते हैं जैसे भी गलती करें। जितनी बड़ी गलती कर रहे हैं उन्हें समझाते हैं अब दोबारा वैसा नहीं करने को  देते हैं।
यह रिश्ता एक अनूठा संबंध है जो हर किसी के जिंदगी में आता है और हमें उनका सदा सत्कार प्रेम भाव से आदर पूर्वक सम्मान करना चाहिए। हमारी प्रवृत्त यह होना चाहिए कि उन्हें सही मार्गदर्शन दें।

 बच्चे बहुत नादान होते हैं वैसे ही गलत हमी से सीखते हैं लेकिन हमें सही को सही गलत को गलत समझा ना
जितना वह अपने मां बाप से नहीं खुश होते हैं अपने दादा दादी से खुशी रहते हैं।

हमें इससे यह सीख लेनी चाहिए की समय के हिसाब से हर छोटे बड़ों का कदर करना चाहिए यही नहीं की बुजुर्ग हो गए हैं उनके साथ गलत व्यवहार करें। जिंदगी में याद चीज हम पर भी लागू हो सकता है।

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