झारखंड राज्य में धन कि खेती करने का तरीका
झारखण्ड राज्य एक बहुत अच्छा राज्य है। जो चारो ओर से पहाड़ पर्वतों से घिरा हुआ है।
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Rajesh
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10/16/2021
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यहां खेती करने का तरीका बहुत ही आसान है।यहां के लोग अपने इस खेती से काफ़ी खुश है।
कभी भी अपने आपको कोसते नहीं अपने खेती पर क्योंकि यहां के लोग काफ मेहनती है। मेहनत कि हर छोटी सी सफल एक उजागर कि ओर ले जाती और मेहनत को रंग लाती है।
जोताई कि जानेवाली मशीन (बैल)
>जानवर, ट्रैक्टर (बैल): सबसे पहले खेती कि शुरुवात जानवरों से हुई है लेकिन हम अब। इन्हे बेकार समझते हैं लेकिन खेती कि सबसे पहले शुरुवात जानवरो से ही कि जाती थी।
यहां सिर्फ खेती के लिए मौसम पर निर्भर रहते हैं । सिंचाई कि कोई सुबिधा नहीं है। खेती के लिए मई-जून में शुरू हो जाती है। सबसे पहले खेत को हल किया जाता है। बैलों से जोता जाता है। मिटटी कि अच्छी तरह से छोटे-छोटे टुकड़ों में किया जाता है । उसके बाद कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके पश्चात खेत में धन को बुना जाता है और छोड़ दिया जाता ।
आजकल मशीनों का सहारा लिया जा रहा है। जैसे ट्रैक्टर आदि। ट्रैक्टर से भी वैसे ही हल करके छोड़ दिया जाता है
सिंचाई कि सुविधा नहीं है। उसके लिए मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है।
मौसम पूर्वानुमान लगाया जाता है उस हिसाब से खेती किया जाता है
जुलाई -अगस्त के महीनों में यह धन लगभग एक फीट हो जाती हैं।
तभी उसमें जल को स्टॉक करके रखा जाता है। उसके बाद उसके ऊपर हल किया जाता है ताकि जितने भी घास- पुस सड़ जाए और धान पुरी तरह से ढीला होजाए उनके जड़े ताकि जड़ अंदर तक चले जाए।
जड़ को हवा पानी अच्छी से मिले।
और मजदूरों से घास पुस को निकाल दिया जाता है
पूरी तरह से फसल के साथ स्पर्धा न करे।
> रोपण कृषि
रोपण कृषि बहुत काम होती है। क्योंकि यहां हर जगह समतल नहीं होने के कारण बहुत परेशान होती है। ज्यादातर खेत उबड़-खाबड़ है। जिस कारण जल ठहरती नहीं जो मिटटी को ढीला करने में असुविधा होती है।
उसके बाद जब कुछ बड़े हो जाते धान तब वहां पर खाद एवं उर्वरक डाला जाता है या गाय का गोबर डाला जाता है ताकि पुरी तरह से धान हरा भरा हो जाए।
जल संरक्षण काफ़ी अच्छे ढंग से किया जाता है उसके लिए मेड को बांधा जाता हैं।
>धान काटने के औजार
>मशीन या हासुवा: धान पकना नवंबर से शुरू हो जाती है। उसके बाद १०या15 दिनों mein धन को काट के खत्म कर दिया जाता है। मशीन का प्रारयोगयो बहुत म किया जाता है।
हसुवा का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। क्योंकी मजदूर काम करते हैं उन्हें कुछ पैसा मिल जाते है। जिससे उनका कुछ सुविधा हो जाती है। यहां आधुनिक तरीको से खेती बहुत काम किया जाता है।
मुख्य कारण सिंचाई कि कमी।
खलियान:
धन को काटने के बाद खलियान में रखा जाता है।30/30का रहता है। जो धान को भूसा से अलग किया जाता है। खलियान में धन को भूसा से अलग करने के लिए मजदूर ही करते हैं।
ये सारा प्रक्रिया करने के लिए 15दिन का समय लग जाता है।
लगभग दिसंबर के महीना में खत्म हो जाता है
मण्डी:
यहां के किसान मण्डी नहीं के बराबर ले जाते।वे अपने उपयोग के लिए रखते। कुछ जब मुसीबत या फिर पैसों कि जरुरत होने पर मण्डी में बेचते नहीं तो नहीं।
दूसरी फसल कि खेती नहीं होती कारण सिंचाई कि सुविधा नहीं है।
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