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झारखंड राज्य में धन कि खेती करने का तरीका

झारखण्ड राज्य एक बहुत अच्छा राज्य है। जो चारो ओर से पहाड़ पर्वतों से घिरा हुआ है। यहां खेती करने का तरीका बहुत ही आसान है।यहां के लोग अपने इस खेती से काफ़ी खुश है। कभी भी अपने आपको कोसते नहीं अपने खेती पर क्योंकि यहां के लोग काफ मेहनती है। मेहनत कि हर छोटी सी सफल एक उजागर कि ओर ले जाती और मेहनत को रंग लाती है। जोताई कि जानेवाली मशीन (बैल) >जानवर, ट्रैक्टर (बैल): सबसे पहले खेती कि शुरुवात जानवरों से हुई है लेकिन हम अब। इन्हे बेकार समझते हैं लेकिन खेती कि सबसे पहले शुरुवात जानवरो से ही कि जाती थी। यहां सिर्फ खेती के लिए मौसम पर निर्भर रहते हैं । सिंचाई कि कोई सुबिधा नहीं है। खेती के लिए मई-जून में शुरू हो जाती है। सबसे पहले खेत को हल किया जाता है। बैलों से जोता जाता है। मिटटी कि अच्छी तरह से छोटे-छोटे टुकड़ों में किया जाता है । उसके बाद कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके पश्चात खेत में धन को बुना जाता है और छोड़ दिया जाता । आजकल मशीनों का सहारा लिया जा रहा है। जैसे ट्रैक्टर आदि। ट्रैक्टर से भी वैसे ही हल करके छोड़ दिया जाता है सिंचाई कि सुविधा नहीं है। उसके लिए मौसम पर निर्भर रह

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मेरा मेरा नाम राजेश गोप है मैं चक्रधरपुर का रहने वाला हूं। मैं अपनी पढ़ाई इंटरमीडिएट तक किया हूं। झारखंड राज्य के पश्चिम सिंहभूम जिले में स्थित है। मैं अपने पढ़ाई नेहरू कॉलेज चक्रधरपुर में पूरा किया। काफी प्रयास के बाद मुझे ब्लॉगर के बारे में जानकारी मिली। और मैं ब्लॉगर स्टार्ट किया। मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा है की ब्लॉगर एक अच्छा प्लेटफार्म है जिंदगी को सफल बनाने के लिए। और मैं अपना एक्सपीरियंस शेयर कर रहा हूं जो कुछ भी मुझे अनुभव है।

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हमारी संतान

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मुश्किलओं का कर्तव्य अपने जीवन के उस मुकाम पर निर्भर करता जिसमे एक छोटी सी मूलभूत अधिकार होता जो हमारी संतान पर depend करता है। इस संसार में जब एक छोटा सा शिशु आता है उसे कितने प्यार से हम उसके लिए सारा चीज निछावर कर देते है। हमारा कर्त्तव्य होना चाहिए बचपन से सही और प्रॉपर way में le जाए। बच्चो के प्रति हमारा योगदान:- (1) सही direction हमारा कर्त्तव्य होना चाहिए की अपने बच्चों के प्रति उन्हें कुछ नहीं पता है क्या गलत और क्या सही बस आपको उसका direction देना है। इंसान गलत करके ही सही करता है। लेकिन अगर उसे ध्यान नहीं दिया जाए तो वह गलत को ही सही मान लेता है। उन्हें यह समझाना है जबतक mature न हो ये उनका first लेबल होता है वे इस संसार के सही गलत से अपरिचित है। गलत का अंजाम गलत होता। अपने बच्चों को एक सफलता के राह में ले जाना आपका कर्तव्य बनता है। (2) मुश्किलों का सामना जितने भी संसार मे जिसने अपना व्यक्तित्व को उजागर किया हो वो अपने life में struggle करके ही प्राप्त किए हैं। मातापिता का कर्तव्य बनता है कि समझाए कि जितनी बड़ी मुसीबत आ जाय भागना नहीं बल्कि उनका सामना